ऊजळा ऊजळा दिन कटे काळी अँधियारी रात मरवण उडिके महलां म कद आवोला नाथ

कविताएँ

।।इन्तजार।।मरवण बैठी महल में,कर सोळा सीणगार!बाटां जोवे पिव आपरी,मुळक रयो अणगार!!पिव परणी रा सायबा,आयो तींजां रो तिंवार!सावण झिर मिर ओलरे,शीतळ पङे है फुंहार!!मदछकिया थें आवजो,मरवण रा गळ हार!थां बिन घङी न आवङे,फिको है तीज तींवार!!नैण फरूके याद में,हिचक्यां आवे अपार!पिव बस्या परदेश में,सुनो लागे रयो घरबार!!एकर आवो सायबा,परणी करे है पुकार!थां आया सुख उपजै,भनङी रा भरतार!!नैणा नींद ना भापरे,फिको भयो सिणगार!सायब थाने भीणती,अाजो तीजां रे तिंवार!!चढ चढ जोऊं डागळे,उडाऊं म्है काळा काग!सावण सुनो निकळियो,कद आसी अब फाग!!छोङ सिदाया नौकरी,म्हारा होग्या माठा भाग!अब घर आवो सायबा,पिया परणी रा सुवाग!!धान ना भावे दिवस रा,अब रातां नींद ना आय!!इण नैणा में आप बस्या,बण काजळ रो सिणगार!!

राम राम सा  में थको दोस्त सहदेव

मै फंस ग्यो खड़ा खाणा मेमने बात समज में नी आवेगाजर टमाटर गोभी काचा खावेहाथ मे प्लेट लेने लैण लगावे...काऊन्टर सु काऊन्टर पर जावेज्यूँ मंगतो फिरे दाणा नेमै फस ग्यो खड़ा खाणा मे ।बाजोट पोतीया जिमण थालईण सगलो रो पड ग्यो कालऊबा ऊबा ही खाई रिया मालदेश री गदेडी और पूरब री चालपेली जेड़ो मिठास कटे खाणा मेमै फस ग्यो खड़ा खाणा मे ।एक हाथ मे प्लेट लिरावोसाग मिठाई भैलाई खावौभीड मे लोगो रा धक्का खावोघूमता फिरता भोजन पावोज्यूँ बलद फिरे घाणा मेमै फस ग्यो खड़ा खाणा मे ।सगला व्यंजन लावणा दोराले भी आवो तो संभालना दोराभीड भाड में बचावणा भी दोराढुल जावेला रुखालना दोरामै डाफाचुक हो गयो जोधाणा मेमै फंस ग्यो खड़ा खाणा मे ।आर्केस्टरा वाला नाचे गावेबिन्द बिन्दणी हँसता जावेघर वाला लिफावा लिरावेसगलाँ रो ध्यान है गाणा मेमै फस ग्यो खड़ा खाणा मेबुढा बढेरा किकर खावेसामे बिन्द बिन्दनी सगला रे सामे हाथ मिलावेविकलांगो ने कुण जिमावेटाबर टींगर भूखा ही जावेकोई बेठा ने कोई ऊबा ही खावेईण लोगो ने कुण समझावेदेखा देखी होड लगावेसब लागा है आणा जाणा मेमै फस ग्यो खड़ा खाणा म। ।। आपको कैसा लगा

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