सब 'कुँवारा' भाई लोगा ने सादर समर्पित । "कुँवारा री पीड़" दुनिया
का सब 'कुँवारा'मिल कर,मीटिंग है बुलवाई ।जा कर के 'भगवान' के आगे अर्जी
एक लगाई ।।अर्जी एक लगाई,"प्रभु"म्हारी नैया पार लगावो।काई बिगाड्यो थाँ
को,म्हाने क्यूँ नहीं परणावो ।।म्हे सुणी हां थारे पास,है सगळा की जोड़ी
।म्हारी बारी कद आसी,म्हे कद चढ़ाला घोड़ी ।।कद चढाला घोड़ी,लुगाई म्हाने भी
दिलवाओ ।दुनिया ताना मारे वां को,मुण्डो बंद करावो ।इस्यो कांई बुरो कियो जो,म्हे इतनो दुःख पाँवा
।रोजीना थाँ के मिन्दर में,हाज़री लगावा ।।हाज़री लगावा ,रोज चढ़ावां लाडू
पेठा ।धारली ढिठाई थे तो,निष्ठुर बन कर बेठा ।।पग पकड़ां 'भगवान्' थारां,अब
थाँ को जिद छोड़ो ।सगळा काम करा हाथां सु,रोट्यां को भी फोड़ो ।।रोट्यां को
भी फोड़ो,पाँती आवे जिसी देदो ।नहीं देणे री मन में है तो,साफ़ साफ़ कहदो
।।'कुँवारा'की बात सुण कर ,"भगवन" कर्यो विचार ।आ सगळा की किस्मत में,कैयां
कोनी 'नार' ।।कैयां कोनी 'नार',देखणा पड़ सी सगळा खाता ।इत्ती बड़ी भूल
कियां,कर दिनी 'बेमाता' ।।तकदीरा का
पोथी पाना,सगळा सामा खोल्या ।लेखा जोखा देख कर,"भगवान्"पाछा बोल्या
।।"भगवान्" पाछा बोल्या,दुःख नहीं लिखोड़ो थारे ।सुख ही सुख लिखोड़ो ,'नारी'
कियां लगाऊँ लारे ।।बडेरां री पुण्याई ही, थांरै आडी आई ।चोखा करम करोड़ा
थांकी,कोनी हुई सगाई ।।कोनी हुई सगाई ,उम्र भर थे रेवोला सोरा ।'पराणोडा'
ने जा कर पूछो,वे है कितना दोरा ।।पत्नी सुख ने छोड कर,सब सुख थाने मिलसो
।खोटा करम करोड़ा,वा ने ही लुगायाँ मिलसी ।।वा ने ही लुगायाँ मिलसी,वे करमां
रा फल भोगेला ।लुगायाँ री सुणता सुणता,होजासी पूरा गेला ।।आखिर में
"प्रभु"बोल्या,सुणो वचन ध्यान से म्हारा ।सुख सूं जीवन जीणो है तो,रह जाया
'कुँवारा' ।कहे कवि ''सहदेव" , 'कुँवारा'अब राजी हो जावो ।जब तक हो दुनिया में
तब तक,खुल्ली मौज़ मनावो।

Nice
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