ऊजळा ऊजळा दिन कटे काळी अँधियारी रात मरवण उडिके महलां म कद आवोला नाथ

आपाणो बचपन!!!

:-"याद घणी आवे बिती री बाताँ,गाँव रा गौना चरावता,दडीयाँ रमता,स्कूलोँ मेँ दाल बाटी खावता गेहूँ  लावताछोरियाँ ने बकरियाँ केर चीड़ावताटेक्टर री टोली लारे लमुटता, खेल्डी रा खौखा खावता,धोरिया  माथे गुड़ता,मौरीया री पॉखा चुगता,ढेंलडी़या लारे दौड़ता,खैल्डे माथे हिंडो घालता,धुड़ा रो घर बणाय रमता,रौज माऊ कनू एक रूपियो लेर सकुल जावता,बोल्टी रा बौरिया खावता ,फाटोड़ी चडीया पेरन सकूल जावता,सकुल मे बाणीया रा छोरा ने कूटता,छाने छाने बिड़ीया रा टुकड़ा पिवता,गणाय कुपाव चुगूने जावता,लुगाईयां रे डगळ री ठोकता,फागण मे चंग बजांवता,दीवाली ने टीकड़ीयां फोड़ता,"

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