ऊजळा ऊजळा दिन कटे काळी अँधियारी रात मरवण उडिके महलां म कद आवोला नाथ

मारवाङी दोहा

केसर निपजै न अठै,नह हीरा निकलन्त |सिर कटिया खग झालणा,इण धरती उपजंत || 


धोरां घाट्यां ताल रो,आंटीलो इतिहास |गांव गांव थरमापली,घर घर ल्यूनीडास ||

सीतल गरम समीर इत,नीचो,ऊँचो नीर |रंगीला रजथान सूं ,किम रुड़ो कस्मीर ? ||

उबड़ खाबड़ अटपटी,उपजै थोड़ी आय |मोल मुलायाँ नह मिलै,सिर साटे मिल जाय ||

रण तज घव चांटो करै,झेली झाटी एम ||डाटी दे , धण सिर दियो,काटी बेडी प्रेम

No comments:

Post a Comment